कल
हर दिन एक संघर्ष है हर दिन एक लड़ाई है दर्द भरा है सीने में गम से आँखें भी नम है ऐसा हर बार क्यों होता है हम कल में वापस क्यों जाना चाहते हैं मैंने सोचा था लहरों से आगे देख लूंगा मैंने सोचा था सच को झुटला दूंगा आँसुओ को रोक लूंगा दर्द को छुपा लूंगा ऐसा क्यों होता है हम कल में वापस क्यों जाना चाहते हैं मौसम भी बेगाना है अबतो हवा का अंजाना है अबतो ये गहरहियो के सन्नाटे है या यह वक़्त खेल है ऐसा क्यों होता है हम कल में वापस क्यों जाना चाहते हैं थक गया हूँ इन सपनो से थक गया हूँ इन कोशिशों से आता नहीं यकीन आगये है इस मोड पर ऐसा क्यों होता है हम कल में वापस क्यों जाना चाहते हैं वक़्त थमता नहीं वक़्त रुकता नहीं इस दौड़ में सोचने को वक़्त मिलता नहीं दौड़ थमने तक जीवन निकल जाती है फिर ये मन रोता है ......... कल को रोकने का मन इसका करता है ऐसा क्यों होता है हम कल में वापस क्यों जाना चाहते हैं